गया में पिंडदान कराने से क्या लाभ होता है?
- ARYAN PIYUSH
- Jun 22
- 2 min read
Updated: Aug 3
जहाँ श्रद्धा होती है, वहाँ परमात्मा स्वयं उपस्थित होते हैं
भारतवर्ष में तीर्थों की कोई कमी नहीं, लेकिन गया जी ये मात्र एक तीर्थ नहीं है,ये है पूर्वजों की मुक्ति की द्वार, एक ऐसी जगह जहाँ आत्मा शांति पाती है,जहाँ पुत्र कर्तव्य निभाता है, और पितृगण आशीर्वाद बरसाते हैं।
गया का धार्मिक महत्व: रामायण से आज तक
गया की कहानी उतनी ही पुरानी है जितनी मानवता की आत्मा।त्रेतायुग में, भगवान राम, माता सीता, और लक्ष्मण जी यहाँ आए थे —पिता राजा दशरथ के पिंडदान हेतु। जब राम काशी गए सामग्री लाने,तब राजा दशरथ की आत्मा माता सीता को दर्शन देकर पिंडदान माँगती है।माता सीता, परम धर्मनिष्ठा से, अकेले ही पिंडदान सम्पन्न करती हैं।जब श्रीराम लौटते हैं, तो राजा दशरथ की आत्मा पुनः प्रकट नहीं होती और वहाँ से शुरू होती है उस अक्षय वट वृक्ष, फल्गु नदी, और गया केपवित्रता की अमर कहानी।
क्या होता है पिंडदान ?
"पिंड" यानी चावल से बने गोल आकार के अन्न,और "दान" यानी अर्पण। पिंडदान में हम अपने पूर्वजों की आत्मा को यह अर्पित करते हैं,जिससे वे अपने बंधनों से मुक्त हो सकें और परलोक की शांति प्राप्त करें।
यह कोई एक दिन का अनुष्ठान नहीं,यह है संस्कार जो हर हिन्दू के जीवन में अंतिम ऋण चुकाने की विधि है।
गया जी में पिंडदान कराने के लाभ
1. पितरों की आत्मा को मोक्ष
गया जी वह भूमि है जहाँ पिंडदान से आत्मा को ब्रह्मलोक या विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। अशांत आत्माएं पुनर्जन्म के चक्र से बाहर निकलती हैं।
2. पितृ दोष का शमन
कई बार जन्मपत्रिका में पितृ दोष होता है जो विवाह में विलंब, आर्थिक बाधा, मानसिक तनाव आदि देता है।गया में विधिवत पिंडदान से ये दोष शांत होते हैं।
3. पारिवारिक कल्याण और सुख-शांति
जहाँ पूर्वज प्रसन्न होते हैं, वहाँ संतानें सुखी होती हैं।गया में तर्पण करने से परिवार में आपसी स्नेह, आर्थिक उन्नति, और मानसिक संतुलन आता है।
4. आध्यात्मिक शुद्धि और आत्मिक शांति
जब हम नदी किनारे बैठकर मंत्रोच्चारण और जल तर्पण करते हैं तो केवल पितर ही नहीं, हमारा अपना मन भी हल्का और निर्मल हो जाता है।
पिंडदान कैसे कराया जाता है?
संकल्प लेना (पूर्वजों का नाम और गोत्र के साथ)
कुश, तिल, जल, चावल से तर्पण
पिंडों का अर्पण
अंत में विष्णुपद मंदिर में दर्शन और प्रार्थना
कब करें पिंडदान?
पितृ पक्ष: भाद्रपद अमावस्या से आश्विन अमावस्या (साल का सबसे पवित्र काल)
श्राद्ध दिवस: परिवार के मृत सदस्य की तिथि पर
गया अमावस्या, गुरुपुष्यमृत योग, महालय आदि विशेष अवसर
क्या सुविधा उपलब्ध है?
आज गया में आधुनिक सुविधाएं हैं ताकि आप इस धार्मिक कर्तव्य को शांति से निभा सकें:
गयावाल ब्राह्मण
गाइडेड पिंडदान व्यवस्था
होटल/धर्मशाला बुकिंग, AC कैब, पूजा सामग्री
पिंडदान आमतौर पर विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के घाटों, अक्षय वट, सीता कुंड, और ब्रह्म सरोवर में कराया जाता है।
पिंडदान कोई जिम्मेदारी नहीं यह प्रेम है। एक पुत्र का, एक पोते का, एक कुल परंपरा का…जो समय की सीमाओं से परे जाकर अपने पूर्वजों को याद करता है।
“पितर स्वर्ग लोक में तुम्हारे तर्पण की प्रतीक्षा करते हैं और जब तुम उन्हें जल अर्पित करते हो,वे प्रसन्न हो तुम्हें आशीर्वाद देते हैं।” – गरुड़ पुराण
आपसे पहले भी कई पीढ़ियाँ यहाँ आई हैं…
अब आपकी बारी है।








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